डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कहा, "हम अपनी मांगों के लिए यहां आए थे, लेकिन हमें सिर्फ मौखिक रूप से कहा गया कि वे इस पर विचार करेंगे। हम निराश हैं और हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"
कोलकाता। आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की बदली को रद्द करने और अन्य तीन मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों की एक प्रतिनिधि मंडल ने स्वास्थ्य भवन में आज दोपहर 2:30 बजे से लेकर 4:30 बजे तक बैठक की। बैठक के बाद, डॉक्टरों ने इसे निराशाजनक करार दिया और कहा कि उनकी मांगों को मानने में स्वास्थ्य विभाग ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कहा, "हम अपनी मांगों के लिए यहां आए थे, लेकिन हमें सिर्फ मौखिक रूप से कहा गया कि वे इस पर विचार करेंगे। हम निराश हैं और हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"
आंदोलनकारी डॉक्टरों ने संदीप घोष की बदली को तुरंत वापस लेने की मांग की थी। संदीप घोष को आर.जी. कर से हटाकर नेशनल मेडिकल कॉलेज में नियुक्त किया गया था। हालांकि, अदालत के हस्तक्षेप के बाद वह अब छुट्टी पर हैं। इसके अलावा, डॉक्टरों ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के समय अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों को हटाने की भी मांग की। 14 अगस्त को आर.जी. कर में हुई तोड़फोड़ की घटना को भी बैठक में उठाया गया, जिसके लिए वहां के वर्तमान प्रिंसिपल सुहृता पाल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। डॉक्टरों ने उनकी भी बर्खास्तगी की मांग की है, क्योंकि वह तोड़फोड़ के बाद से अस्पताल नहीं आ रही हैं और उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।
इससे पहले, डॉक्टरों की एक 35 सदस्यीय प्रतिनिधि टीम स्वास्थ्य भवन में स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक कौस्तुभ नायक से मिलने गई। जब प्रतिनिधि मंडल अंदर गया, तब बाकी डॉक्टर स्वास्थ्य भवन के बाहर धरने पर बैठ गए। डॉक्टरों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को उठाएंगे। आज सीजीओ कॉम्प्लेक्स से मार्च की शुरुआत हुई, जिसमें जूनियर और सीनियर डॉक्टरों ने एकजुट होकर हिस्सा लिया।
स्वास्थ्य भवन की ओर बढ़ते इस मार्च में डॉक्टर एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ते रहे। मार्च के दौरान कई बार पुलिस से भी बात की गई, लेकिन उन्हें रोका नहीं गया। मार्च के दौरान डॉक्टरों ने 'न्याय चाहिए' जैसे पोस्टर और बैनर हाथ में लेकर अपनी मांगें उठाईं। पुलिस ने सिजियो कॉम्प्लेक्स और स्वास्थ्य भवन के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी।
अब देखना यह होगा कि डॉक्टरों का यह आंदोलन आगे क्या रूप लेता है और उनकी मांगों पर सरकार क्या रुख अपनाती है।